वजीफा

सन् 2009, देश के किसी सरकारी स्कूल में

“सभी बच्चे ध्यान से सुनिए रुचि गौतम , नेहा श्रीवास्तव, प्रीति यादव ,नीलम गौतम ,अरुण बाल्मीकि.. आप सब लोग कल अपने पापा या मम्मी को लेकर आएंगे। आप का वजीफा आ गया है, कल बड़े बाबू से ले लीजिएगा और जिन्होंने जाति प्रमाण पत्र जमा नहीं किया है,वह बच्चे कल जाति प्रमाण पत्र लेकर आएंगे। ठीक है?”

” मैडम जी, मुझसे तो जाति प्रमाण पत्र मांगा ही नहीं गया”

” क्या नाम है तुम्हारा?”

“रितु शर्मा”

” अरे नहीं… नहीं ..तुम सामान्य जाति की हो तुम्हारा जाति प्रमाण पत्र नहीं लगेगा “

“अरे वाह! मतलब बिना जाति प्रमाण पत्र जमा किए ही मुझे वजीफा मिल जाएगा “

“अरे नहीं …नहीं …तुम्हें क्यों मिलेगा, तुम सामान्य जाति की हो और आर्थिक रूप से पिछड़ी हुई भी नहीं हो”

” लेकिन मैम रुचि गौतम को तो आप लोग वजीफा दे रहे हैं, वह तो रोज टिफिन में मैगी लेकर आती है, उसके पास तो टिक टोक वाली पेंसिल भी है महंगी वाली और इस साल नया बस्ता भी खरीदा है और तो और वह तो लिप बाम भी लगाती है वो वैसलीन नहीं लिपस्टिक वाला लिप बाम..रोज इंटरवल में समोसे खरीदने के पैसे भी होते है उसके पास.. तो वह गरीब कैसे हुई मैडम जी? “

” कैसी बेवकूफों जैसी बातें कर रही हो। उसके पिता रेहड़ी – पटरी का काम करते हैं,वह आर्थिक रूप से पिछड़ी हुई है साथ ही पिछड़ी जाति से आती है उसका तो अधिकार है बेटा वजीफा पाने का।”

” लेकिन मैडम जी मेरे पिता सिपाही है लेकिन वह 8 लोगों के परिवार को देख रहे हैं साथ ही गांव की भी देख रेख वही करते हैं..मैडम जी मैं तो रोज टिफिन में एक रोटी और थोड़ी सी सब्जी लाती हूं और साथ ही मेरे पास तो लिप बाम जैसे फालतू खर्च के पैसे भी नहीं होते …नटराज पेंसिल पर स्केज का कैप लगाके लिखती हूं…मेरा बस्ता सालों से मम्मी की आलपिन से लटका हुआ है ..मैं सिर में डाबर आमला की जगह सरसों का तेल लगा कर आती हूं तो भी मैं अगड़ी और वह पिछड़ी कैसे हो गई मैडम जी।

“चुप….. बैठो अपनी सीट पर, बड़ी होना तो समझना “

सन् 2019, देश के किसी कोने में

“हेल्लो.. कैसी हो बहन ? रूचि गौतम बोल रही हूं..”

“हां ..कैसी हो क्या कर रही इन दिनों?”

“अरे.. सरकारी नौकरी लग गई मेरी तो पिछले ही साल.. तुम बताओ

“कितने नंबर थे?”

“54/100

“शुभकामनाएं बहन..”

सन्नाटा…….

अपनी मार्कशीट में चढ़े 70 नंबर देखते हुए अपना बैग उठाया और प्राइवेट नौकरी को निकल गई.. अब वो बड़ी भी हो चुकी थी और मैडम जो समझाना चाहती थी वह भी समझ चुकी थी…!

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