मुझे विदा कर रहे हैं….

दुनिया से बचा कर रखते थे, आज दुनिया के सामने किसी गैर को दे रहे हैं,
देखो न मुझे जिंदगी देने वाले आज मुझे विदा कर रहे हैं…

Via Google

जिस कमरे में मेरा श्रृंगार हो रहा है उसकी लाइटिंग देखने के बहाने बार बार आ रहे हैं , मुझे देख तो रहे हैं मगर नजर नहीं मिला रहे हैं…

बारात आने की कुछ घंटों पहले ही वो कपड़े बदल रहे हैं,हां जो कहा था मैंने बाबा वहीं सफेद कुर्ता पहन रहे हैं…

मैं जय माल पर खड़ी हूं वो ना जाने कहां गुम गए हैं , मैं सीता तो नहीं हूं मगर आज वो राजा जनक बन गए हैं

आए हैं मुझे आशीर्वाद देने वो दो परमात्मा स्वरुप माता पिता, आज ना जाने क्यों अजनबी सरीखे लग रहे हैं

नजरें पाबंद करते थे मेरी जो, आज किसी गैर की अंजुरी में मेरा हाथ दे रहे हैं
लेकिन मुझसे ज्यादा आज उनके हाथ कांप रहे हैं…

कर दिया कन्यादान मेरा मुझको बार-बार देख रहे हैं , कैसी रीत है इस दुनिया की तौलिए में लिपटी मिली थी जिन्हें आज मुझे घूंघट में कैद देख रहे हैं

भर रहा है कोई मेरी मांग में सिंदूर, वो मंडप से दूर कहीं अलग जा बैठे हैं
मैं देख सकती हूं उन्हें वो बार-बार एक ही नोट गिन रहे हैं

हिसाब किताब का समय तो नहीं है ये हां शायद इस परिस्थिति से खुद को अलग कर रहे हैं, शायद आज वो मेरी कल की विदाई की तैयारी कर रहे है

जागते आंखो और सोए मन से बीती वो रात, उस एक रात में मै विवाही हो गई
मेरी जीवन की धारा बदलने वाले भाई ने बस धार डाली और मै पराई हो गई

उस सुबह मैं रोई वो रोए, उनके कंधे रोए, मेरी बाहे रोई, उनका घर रोया, उस रोज़ उनकी रसोई रोई

बांधा था गठबंधन किसी से खुद को अलग न कर सकी सो मैं कार में बैठ कर रोई, इतना रोई ,इतना रोई कि मेरी सदा खो गई
मैने 21 साल दिए थे जिस घर को मैं आज उसी घर से विदा हो गई….


~ ज्योति

(और यह लिखते हुए मैं बहुत रोई)

3 thoughts on “मुझे विदा कर रहे हैं….

Leave a comment